FASCINATION ABOUT KAHANIYAN

Fascination About kahaniyan

Fascination About kahaniyan

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एक दिन सूरज की गर्मी चरम सीमा पर थी, परंतु किसान हमेशा की तरह खेत में काम कर रहा था। पसीने से लथपथ किसान बुआई के लिए खेत जोत रहा था। इसी बीच खेत में खुदाई करते समय जमीन से एक बड़ा सा लकड़ी का बक्सा मिला। किसान ने सावधानी से बक्से को निकाला। 

अगले दिन जैसे ही मछुआरा आया एक मछली दोस्त छलांग लगाकर नदी में भाग गई।

यदि अधिक मिले, तो कौवे के रिश्तेदार उनके पास आस-पास के शहरों से आ रहे होंगे। यदि कम हैं, तो हमारे शहर के कौवे शहर से बाहर रहने वाले अपने रिश्तेदारों के पास जरूर गए होंगे।” 

श्याम भी उन दोस्तों website के साथ बाहर में खाना – पीना और घूमना करता।

किसान बोला, नहीं प्रभु, मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है। आपसे मैं क्या मांगू? आपने मुझे सबकुछ दिया। दो हाथ पैर खेती करके अन्न उगाने के लिए, जमीन, भूख लगने पर भोजन, तन ढंकने को पर्याप्त मात्रा में वस्त्र। सिर्फ एक कमी लगी मुझे अपने जीवन में की सीमित मात्रा में अन्न धन होने के कारण मैं अपने द्वार पर आये भूखे व जरूरतमंद लोगों की सहायता नहीं कर सका। 

तीसरा पाठ : जब तक हम अपने बारे में सोचना बंद नहीं करते तब तक हम दूसरे के बारे में सोच नहीं सकते और उसका दर्द नहीं समझ सकते। किसी ने खूब कहा है  खुद के लिए जिया तो क्या जिया? दूसरों के लिए जीना ही जिंदगी है।

लोमड़ी को शरारत सूझी और वह कहने लगी सारस भाई मैं तुम्हे अपने घर दावत पर बुलाना चाहती हूँ, कल तुम मेरे घर भोजन करने आना। दूसरे दिन सारस लोमड़ी के घर भोजन करने पहुँचा। दोनों ने एक दूसरे को राम-राम बोला और फिर मीठी-मीठी बातें करने लगे। कुछ देर बाद लोमड़ी दो परातो में बहुत पतली खिचड़ी बनाकर ले आई और वह सारस से बोली सारस भाई आओ खाना खाएँ।

इस कहानी से हम सभी को यही शिक्षा मिलती है की हमे अपने भाग्य और किस्मत के भरोसे रहकर खुद को कोसने के बजाय हमे लोगो के लिए यदि जीना शुरू करते है तो निश्चित ही ईश्वर हमारे साथ हमेसा होता है और ऐसा हम तभी कर सकते है जब हम अपनी सोच से बाहर निकलकर दुसरे के लिए जीना शुरू करते है

श्याम अपने घर मार्कशीट लेकर गया जिस पर उसके माता-पिता ने देखा और बहुत उदास हुए। उन्हें उदासी हुई कि एक मेरा बेटा इतना अच्छा पढ़ने में है और दूसरा इतना नालायक। श्याम किसी भी विषय में पास नहीं हो पाया।श्याम के माता -पिता को बहुत दुखी हुई उन्होंने किसी से कुछ नहीं कहा मगर अंदर ही अंदर वह बहुत दुखी होते रहे।

आलसी मछली और एक और मित्र भी उन सभी मछलियों के साथ जाल में पकड़ी गई।

रामचरण की मेहनत और उसके परिश्रम की दूर दूर तक चर्चा होने लगी। रामचरण की कहानी और संघर्ष गांव के अन्य किसानों को भी प्रेरित करती है।

गोपी, जो घमंडी और अभिमानी हो गया था, ने उत्तर दिया, “मुझे अपने खेतों के बारे में चिंता क्यों करनी चाहिए जब वे अंतहीन प्रचुरता से धन्य हैं?

दो बकरियों की कहानी – कुमति और सुमति

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